सोचता हूं अब उन्पे मुकदमा ही करदू,
आखिर आखिरी तारीख पे तो मुलाकात होगी ही।
मेरी खामोशियां भी बहुत कुछ कहती है,
तुम कभी पूछ के तो देखती।
लिपटना चाहा था उसकी बाहों में,
लिपटा दिया उसने अपने बातो में फसा के।
प्यार थी वो कोई वक्त नही,
जो बीत गई दो पल में।
तुम्हें भूल भी जाऊ लेकिन
वो पल जो हमने बिताई थी।
वो भुलाई नही जा सकती !
तुझे खोने के डर से,
तुझे पाया ही नहीं।
जिंदगी भर तड़पता रहा,
तुझे बताया ही नहीं।
ये इश्क और कोरोना एक ही जैसा है साहेब जब तक खुद को नही हो जाता तब तक मजाक ही लगता है।
And
In the end
All I learned
Was how
To be strong
Alone.
अगर तुम साथ हो तो गम किस बात की हो ।