स्वपरिचय मैं “इरा जौहरी “स्वतन्त्र रचनाकार हूँ मेरी माँ का नाम “श्रीमती कमल सक्सेना “तथा पिता का नाम” श्री भुवनेश्वर दयाल सक्सेना “है । प्रतापगढ अवध का मदर हॉस्पिटल हमारी जन्म स्थली है जहाँ हमने माता पिता की प्रथम सन्तान के रूप में ७/११/१९६५ के शुभ दिन आनन्न्द के फूल खिलाये थे... Read more
Share with friendsकिसी नें सच ही कहा है जिन्दगी में किस्मत जब भी दरवाजा खटखटाये दरवाजा खोल पैर जरूर अड़ा देना चाहिए ।अक्सर सुनहरे मौके बार बार नहीं मिला करते ।बन्द दरवाजा देख वो आगे बढ़ जाती है ।आपकी क्या राय है जरा बताइये तो।😊😊🙏🙏इरा जौहरी
किसी नें सच ही कहा है जिन्दगी में किस्मत जब भी दरवाजा खटखटाये दरवाजा खोल पैर जरूर अड़ा देना चाहिए ।अक्सर सुनहरे मौके बार बार नहीं मिला करते ।बन्द दरवाजा देख वो आगे बढ़ जाती है ।आपकी क्या राय है जरा बताइये तो।😊😊🙏🙏इरा जौहरी
माँ कभी न खुद को तुम अकेला समझना वो तुम ही हो जिसने मुझे जीने का सलीका सिखलाया तुम हो तो हम हैं । सच कहूँ तुमसे ही हम हैं । इरा जौहरी
क्षणिका "भूख" रोटी की भूख हावी हो जाती है जब तन की भूख पर अस्मत सस्ती और रोटी महंगी हो जाती है । इरा जौहरी लखनऊ मौलिक
आप यूँ ही गर हौसले बढाते रहे और साथ देते रहे तो मुश्किल राहों मे भी जीना आसान हो जायेगा 🌺🌺🤗🤗🌺🌺 इरा जौहरी
कल रात मैंने अपने सारे गम दीवार पर लिख डाले, फिर क्या,दीवारें रोती रहीं, हम सोते रहे। 🤗🤗😝😝😜😜😌😌 इरा जौहरी लखनऊ मौलिक
फेसबुक के सभी दोस्तों को समर्पित 🌺🌺 फेसबुक पर भी सच्चे दोस्त बनाये जा सकते हैं एक पक्की दोस्ती का रिश्ता निभा कर सारे ज़माने को दिखाना है इरा जौहरी
आप यूँ ही गर हौसले बढाते रहे और साथ देते रहे तो मुश्किल राहों मे भी जीना आसान हो जायेगा 🌺🌺🤗🤗🌺🌺 इरा जौहरी