डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
Literary Colonel
57
Posts
74
Followers
4
Following

*लेखन में निरंतर सक्रिय, अब तक अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लगभग दो हजार आठ(2008) रचनाएं प्रकाशित. *चार पुस्तकें प्रकाशित. *प्रकाशित पुस्तकें- 1.आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में फणीश्वरनाथ रेणु का विशेष अध्ययन.( शोध ग्रंथ) 2.काव्यांजलि-कविता संग्रह 3.सारे जमीं पर-कविता संग्रह 4.महकता... Read more

Share with friends
Earned badges
See all

"जाल" चहकती चिरैया!रहो सावधान- मुझे तो बुरा सा खयाल आ रहा है, अदाओं पे होकर फिदा वो तेरी- लेकर शिकारी भी जाल आ रहा है. डॉ. अंजु लता सिंह प्रियम

अनंत" इस अनंत ब्रह्मांड में ,अंतहीन खुशियां और गम- मिलतीं हर इंसान को, भू पर ज्यादा या कम, नेह के प्यारे से बंधन में,जीव-जंतु सब बंधे हुए हैं- है उजास विश्वास की,भले ही फैला होवे तम. रचयिता- डॉ.अंजु लता सिंह प्रियम,नई दिल्ली

खुद पर करो न अत्याचार- जुबां तेरी मीठी तलवार, मुसीबतों को न दो न्यौता- कहो न आ बैल मुझे मार

#खुद पर करो न अत्याचार- जुबां तेरी मीठी तलवार, मुसीबतों को न दो न्यौता- कहो न आ बैल मुझे मार

# भिड़ो न बंधु तुम हर बार,दुश्मन से मत ठानो रार मस्त रहो परहित में हरदम, निहत्थे पर करो न वार बिना बात ही मत उलझो,रक्खो बस उत्तम व्यवहार कहना न पड़ जाए कभी भी,"आ बैल मुझे मार"

#अकेलेपन से कभी भी घबराना नहीं चाहिये...भीड़ के बीच अकेलापन काफी चिंतनशील बनाता है हमें.. सृष्टि में अकेले ही आने-जाने का क्रम शायद ईश्वर ने इसीलिये बनाया है.


Feed

Library

Write

Notification
Profile