Govardhan Lal
Literary Captain
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लिखना चाहता हूँ जो कह ना सकूं, किसी ने कहा वह सबको बता सकूँ।। आजमाए ज़माना अपने मुककद्दर, मैं अपनी बदनसीबी आज़मा सकूँ ।

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लिखना चाहता हूँ जो कह ना सकूं, किसी ने कहा वह सबको बता सकूँ।। आजमाए ज़माना अपने मुककद्दर, मैं अपनी बदनसीबी अपना सकूँ ।


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