गठरी मन मुटाव भरी,कैसे सुलझे आप।
राग-रोष के भाव से,बढ़ता केवल ताप।।
नंदिता माजी शर्मा ©®
दीन के थाल सूखे पड़े,कौन बढ़ाए हाथ
दाने दाने के लिए,सहे पीर दिन रात
आज भी मेरी जिंदगी, तेरी यादों में कैद है
तेरा अक्स कहीं नहीं, मगर तेरा वजू़द मुस्तैद है
नंदिता माजी शर्मा ©®
अपने शब्दों की धूल,
आपके दामन में लपेट जाएंगे,
खुद के बिखरे अल्फाजों में,
आपको समेट जाएंगे.....
नंदिता माजी शर्मा ©®
हिंदी में इतनी शक्ति है
कि विकारों को आकारों में बदल दें....
नंदिता माजी शर्मा ©®
Conquer the negatives with the sword of positivity......
Nandita Majee Sharma ©®
असमंजस में हूं कि - किस विधा में लिखूं?
दिल कहता है, बस... संविधा में लिखूं......
नंदिता माजी शर्मा ©®
जीवन के दो पांव
कभी धूप... कभी छांव.....
नंदिता माजी शर्मा ©®
The only certain thing in life is UNCERTAINTY......
~Nandita Majee Sharma ©®