Sunil Kumar
Literary General
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

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जीवन एक अबूझ पहेली सुख-दुःख की है सहेली । सुनील कुमार

इस रंग बदलती दुनिया का, हर रंग बदलते देखा है मैंने मौसम की तरह, अपनों को बदलते देखा है। सुनील कुमार

दीवार आंगन में जब खड़ी हो गई दूरियां दिलों में बहुत बड़ी हो गई सुनील कुमार

माता-पिता से बढ़कर जग में कोई न भगवान ऋण चुका पाएं उनका, ऐसा कोई न धनवान। सुनील कुमार

मंदिर- मस्जिद के चक्कर में उलझा है इंसान मात- पिता से बढ़कर कोई दूजा न भगवान। सुनील कुमार

अंधकारमय जीवन पथ पर जीवन ज्योति जलाती है भले-बुरे में भेद बताकर सही राह दिखाती है मां हमें जीना सिखाती है। सुनील कुमार

अंधकारमय जीवन पथ पर जीवन ज्योति जलाती है भले-बुरे में भेद बताकर सही राह दिखाती है मां हमें जीना सिखाती है। सुनील कुमार

मां की ममता का कोई मोल नहीं मां जैसा जहां में कोई और नहीं। सुनील कुमार

हिंदी हिन्दुस्तान की *****************************


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