Amit Kumar
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कविता, ग़ज़ल, शायरी

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हम खुद को नायक कहते हैं, ये जीवन खुद एक नायक है, मत कर व्यर्थ प्रयास ऐ बंदे, ये रंगमंच खलनयक है।

हर नया सवेरा एक कोरा पन्ना है, ज़िन्दगी के कलम से कुछ भी लिखा जा सकता है। *अमित कुमार

सीखना बंद, तो जीतना बंद.... *अमित कुमार

निर्भरता हमेशा कामजोर बनाती है, निर्भयता हमेशा आगे बढ़ाती है। *अमित कुमार

ज़िन्दगी में कुछ भी हासिल किया जा सकता है, लेकिन हासिल सिर्फ दो शर्तों पर ही होगा, आपकी मेहनत और रब की मेहर.... *Amit Kumar

टूटने के बाद ही अक्सर सम्भलने का हुनर आता है। *Amit Kumar

कभी अनिश्चितता से कुछ भी निश्चित नहीं हो सकता। *Amit Kumar

जब तक आप सोचने का काम शुरू नहीं करेंगे, ताउम्र आप जहाँ हैं वहीं रह जाएंगे। *Amit Kumar

तूफान में ताशों का घर नहीं बनता! रोने से बिगड़ा हुआ मुकद्दर नहीं बनता। *Amit Kumar


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