लेखक, गीत, गज़ल, कविता लावणी, हिंदी मराठी आणि वाचनं मला आवडतं
तू ना किसीको पुछकर आएगा, तू खुद ही मालिक है सबकी ढोरी तेरे हाथ,सब तेरी झलक है धनराज बाविस्कर
तलब तो लगी है प्यास की,मगर हम कैसे पी ले आपके सिवा, जान छिडक दी है हमने आपे कहा लगाएं दिल आपके सिवा । धनराज बाविस्कर