@krishan-kumar-sati

krishan kumar sati
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तुम्हारा शुक्रगुजार हूं दोस्त, कि बुरे समय में तुमने,समय की अहमियत बता दी।।

रोशनी कम ही सही,किसी को रास्ता तो दिखता है। अजीब हैं वो लोग ,जो जलते चिरागों को बुझा दिया करते हैं।

रावण तो हर साल जलाया जाता है। फिर क्यों अगले साल वो रावण आता है। सोचो खुद से क्यों न हम,अपने मन की बुराई को जला दें। जिससे अगले साल रावण न जलाना पड़े।


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