Jitendra Vijayshri Pandey
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दुआ करो कि वो ज़माना फिर लौटे जहाँ एक इंसान को दूसरे इंसान की सहायता करके सुकून मिलता था। ©®जीत

प्रेम में सबकुछ लुटा देना ही तो विशुद्ध प्रेम होता है। जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय "जीत"

वतन का आलम बदलना चाहिए। युवा को अब तो वायु बनना चाहिए।। ग़र रुपयों बस में ही इतनी ताक़त है तो लोकतंत्र में जन की ताक़त दिखानी चाहिए।।

मोहब्बत किसी दिन या वक़्त की मोहताज़ नहीं, उसे तो बस हर दिन महसूस किया जाना चाहिये। मोहब्बत में मोहब्बत की मोहब्बत ही तो मोहब्बत है, मोहब्बत में मोहब्बत के ज़िस्म से मोहब्बत नहीं होना चाहिये।।

ख़ुद से करो कुछ वादा ऐसा, ख़्वाब भी एवरेस्ट ऊँचा है जैसा। लाख़ जीत हासिल न हो सके बेशक़ सबक बेशक़ीमती मिले वैसा।।

ख़ुद से करो कुछ वादा ऐसा, ख़्वाब भी एवरेस्ट ऊँचा है जैसा। लाख़ जीत हासिल न हो सके बेशक़ सबक बेशक़ीमती मिले वैसा।।

ख़ुद से करो कुछ वादा ऐसा, ख़्वाब भी एवरेस्ट ऊँचा है जैसा। लाख़ जीत हासिल न हो सके बेशक़ सबक बेशक़ीमती मिले वैसा।।

शादीशुदा ज़िन्दगी जी रहे मंजीत भाई को जन्मदिवस की शुभकामनाएं, मस्तमौला जे.पी. सिंह जी के साथ रहने वाले फ़नकार को शुभकामनायें। इक प्यारे कुसुम और ख़ूबसूरत एहसास के पिता आपको मन से जीत द्वारा आपके जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।।

मोहब्बत की कश्ती बिन सहारे के हो नहीं सकती, सुन, मुसाफिर! गुज़ारा हो भी जाये लेकिन इस दिल को गंवारा नहीं होता।।


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