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जिस प्रकार बूंद बूंद से नदियां और नदियों से सागर है, उसी प्रकार घंटों से दिन और दिनों से जीवन है। जीवन है यह कोई मज़ाक नहीं, लेकिन यह न सोचना कि तुम आज़ाद नहीं। बूंद बूंद का करो सम्मान एवं करो सत्कर्म, अनुशासन को बना लो अपने जीवन का धर्म।