उन्होंने सुना नहीं, उन्होंने जीया नहीं, उनको तो पता भी नहीं - हमनें इस क़दर पनाह दी घर में उन्हें, कि तूफ़ान सब उड़ा ले गया, बाड़ सब बहा ले गया, एक कयामत का ही आना बाकी था, वो कहर बरसा भी गए और, उन्हें ख़बर भी नहीं - ©thesarcasticexpressor By - Pragati Agarwal
कोई ऐसी धुन बजा मिर्ज़ा, सुन दिल रोए ना, ना हस पाए, और ज़हर मिला उसमे मिर्ज़ा, कि जी पाए ना, ना मर पाए, छू रूह बावरी की यूं मिर्ज़ा, जो डूबे ना, ना तर पाए, कर जादू ख़ुद का यूं मिर्ज़ा, जो मिल पाए ना, ना खो पाए। ©Thesarcasticexpressor By - Pragati Agarwal
*निशान* आपका सफ़र बताते हैं। ज़ख्म मिलने से भरने तक का सिलसिला। बयां करते है आपकी ख़ूबसूरती, धैर्य, साहस और जज़्बे को। जहां, मुश्किलें हर पग पर आई होंगी, पर आप टूटे नहीं। ©thesarcasticexpressor By - Pragati Agarwal (Doorbeen Series)
ज़िंदगी की कीमत उससे पूछो, जिसने जी कर नहीं, तिल तिल मरकर गुज़ारी है। ज़िंदगी मौत की वजह न बन जाए, इस ख़ौफ में डरकर गुज़ारी है। ©️thesarcasticexpressor By - Pragati Agarwal
तुम देखा करो मुझे दूर दूर खिंडकियों की ओट से, कोई सरफिरा ही होगा जो तपता सूरज चूमता है नाज़ुक होंठ से। ©thesarcasticexpressor by-Pragati Agarwal (Doorbeen series)
तो क्या हुआ अगर रेत जम गई, मेरा इंतजार फिर भी मत करना, रेत के टीले बना करते हैं घर नहीं, जो तूफान तक रहते है उम्रभर नहीं। ©Thesarcasticexpressor By - Pragati Agarwal
तो क्या हुआ अगर रेत जम गई, मेरा इंतजार फिर भी मत करना, रेत के टीले बना करते हैं घर नहीं, जो तूफान तक रहते है उम्रभर नहीं। ©Thesarcasticexpressor By - Pragati Agarwal
पोंछती हूँ मगर; न रुकते हैं, न सूखते हैं, आँसू मख़मली रुमाल से। तेरे कमीज़ के खुरदुरेपन की बात ही और थी। © Thesarcasticexpressor By- Pragati Agarwal