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"जिसने ह्रदय सितार बजाया, जो भी मन-आकाश में छाया! अक्षरबद्ध किया बस उसको, जिस जिस भाव ने गले लगाया! कोई शिक्षित कवि नहीं हूं, अपने मन की गाता हूं! जैसा है, जो भी है इस क्षण, तत्क्षण लिखता जाता हूं!!"