Deepa Gupta
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कुछ सवाल तुमने अपने आप से भी किए होते , हर इल्ज़ाम के गुनेहगार हम नहीं ।

मत सोच सामने वाला क्या सोचेगा सीधी बात कहने से क्या ज़माना रोके गा झूठी बाते सिर्फ़ कानो को अच्छी लगती है हक़ीक़त तो दिल की गहराई तक जाती है

मत घबरा , इन गहनो को अपना शस्त्र बना , चूड़ी को ख़ंजर , ओढ़नी को फंदा बना। दे सज़ा इन बलात्कारियों को , इस फंदे से उन्हें खुद लटका ।

बनावटी रिश्ते कुछ समय तक ही चलते है सीधी बात कहते ही टूट ज़ाया करते है साँचे दिल से जुड़े रिश्ते ऐसे नही टूटते विश्वास पे एक दूसरे के आजीवन चला करते है

हमने वो किया जो उसने खा हमने हृदय से किया उसने मस्तिष्क से

बहुत सारे सवल ज़हन में सिर्फ़ सवल रह जाते है कुछ जवाब नही मिलते कुछ पूछे नही जाते


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