Chandan Kumar
Literary Colonel
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मैं चांदी की कलम से चांद को लिखता हूं, मैं चंदन हूं सारी जहां में चमक बांटता हूं !!

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हार का डर जिसको सताता हैं, वो जीत के करीब आ जाता हैं !

तेरे मतलब की वकालत कौन करता हैं , वही जो तेरे ज़ख्म में भी तेरे साथ रहता हैं !

कसम खाती हैं क़ामयाबी, आपके हुनर को देनेआजादी

मतलब की दुनिया से अपनी यारी थोड़ी दूर हैं, कश्मकश में हैं ज़माना जाने कैसे वो मशहूर हैं !

गर अंधकार को देना हैं मात, चलो लेकर चिंगारी साथ !

बादलो सा बेखौफ़ चलने की हिम्मत तो करो मेघा भी मचल जाएगा मन को मोर तो करो

तन की सुंदरता का जो जगह तलाश रहा हैं, मन की सुंदरता का कहां उसको आभास रहा हैं !!

अंधकार अचरज में डालता हैं, अनहोनी को होनी करता हैं !

आसमां में जो तारे टिमटीमा रहे हैं, सारे अपनी ख़बर मुझे बता रहे हैं, कैसे असंख्य तारे जगमगा रहे हैं, धुन में चलने को मुझे जगा रहे हैं !


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