kashish panwar
Literary Captain
4
Posts
6
Followers
1
Following

I'm kashish and I love to read StoryMirror contents.

Share with friends

कुछ माँगा नहीं,कुछ चाहा नहीं बदला बस खुद को, कि रिश्ता टूट ना जाये कहीं आदतों को बदला, चाहतों को बदला भले मेरे अरमानों ने, अपनी करवट को बदला समन्दर की एक बूंद बन जाऊं भले बस समन्दर में मेरा अस्तित्व तो रहें धूल का एक कण भी में बन ना सकी मेरे त्याग की


Feed

Library

Write

Notification
Profile