SARVESH KUMAR MARUT
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कवि,कहानीकार व शायर ।

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वक़्त की चोटें भी अज़ीब होती हैं, या बिख़र जाते हैं या इतिहास बनाते हैं। सर्वेश कुमार मारुत

निकले काफ़िले भले ही भीड़ में अक़्सर, पर क़दम हमने ही धीरे-धीरे बढ़ाना है। सर्वेश कुमार मारुत

चलने के लिए एक रौशनी काफ़ी है, चाहें प्रकाश की हो या अन्तरात्मा की। सर्वेश कुमार मारुत

वृक्ष हमारे जीवन साथी, इसके बिन घट जाये बाती। शुद्ध हवा इससे ही आती, सांसों में हमारे है जाती। हे इंसानों! सुन लो-सुन लो, वरना हो जायेगी बर्बादी। सर्वेश कुमार मारुत

अरे! क्यों आत्मा को परमात्मा से मिलाने की बात करते हो? आत्माएँ तो दूषित हो चुकी हैं फ़िर कैसे मिलन हो? सर्वेश कुमार मारुत

शीशा कभी किसी को अकेला नहीं करता, वह हमें बात सुनने वाला देता है। शर्त बस इतनी है कि वह सुनेगा; बस सुनेगा ही, अपनी कुछ नहीं कहेगा। बस किरदार हमें ही निभाना होता है। सर्वेश कुमार मारुत

चींटी ने कब सोचा, वजन कितना है? बस ज़ुनून ही उसके पास, करम करना है। सर्वेश कुमार मारुत

हौंसले हैं हम में बहुत, आँखों में सफ़र रखते हैं। पंख भले ही न हों, पर उड़ने का हुनर रखते हैं।। सर्वेश कुमार मारुत

"हर हुनर बाज़ारों में नहीं बिक़ते, कुछ अपने आप भी पैदा किए जाते हैं।" सर्वेश कुमार मारुत


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