कवि,कहानीकार व शायर ।
Share with friendsवृक्ष हमारे जीवन साथी, इसके बिन घट जाये बाती। शुद्ध हवा इससे ही आती, सांसों में हमारे है जाती। हे इंसानों! सुन लो-सुन लो, वरना हो जायेगी बर्बादी। सर्वेश कुमार मारुत
अरे! क्यों आत्मा को परमात्मा से मिलाने की बात करते हो? आत्माएँ तो दूषित हो चुकी हैं फ़िर कैसे मिलन हो? सर्वेश कुमार मारुत
शीशा कभी किसी को अकेला नहीं करता, वह हमें बात सुनने वाला देता है। शर्त बस इतनी है कि वह सुनेगा; बस सुनेगा ही, अपनी कुछ नहीं कहेगा। बस किरदार हमें ही निभाना होता है। सर्वेश कुमार मारुत
हौंसले हैं हम में बहुत, आँखों में सफ़र रखते हैं। पंख भले ही न हों, पर उड़ने का हुनर रखते हैं।। सर्वेश कुमार मारुत