40 pustken prakashit 2000 lekh chhpe
Share with friendsबुड्ढी भटियारिन व काग मंजरी की एक था गाँव गाँव के बाहर थी एक धर्मशाला याने कि सराय रोहिल्ला जो सराय काले खां के बग़ल में थीं जहां आते जाते बटोही रात को ठहरते ओर सुबह उठ कर चले जाते धंधा चौखा चल रहा था ऐसे ही एक दिन भटका हुआ यात्री आया भटियरिन ने उसे ठहराया खा पीकर जातरू सोने से पहले हुक्का पीने भटियरिन के पास आया हुक्के का कश खिंचा ओर बोला हे शहर की मल्लिका कोई ताज़ा क़िस्सा बयान यशवन्त कोठारी
कथा बुड्ढी भटियारिन व काग मंजरी की एक था गाँव गाँव के बाहर थी एक धर्मशाला याने कि सराय रोहिल्ला जो सराय काले खां के बग़ल में थीं जहां आते जाते बटोही रात को ठहरते ओर सुबह उठ कर चले जाते धंधा चौखा चल रहा था ऐसे ही एक दिन भटका हुआ यात्री आया भटियरिन ने उसे ठहराया खा पीकर जातरू सोने से पहले हुक्का पीने भटियरिन के पास आया हुक्के का कश खिंचा ओर बोला हे शहर की मल्लिका कोई ताज़ा क़िस्सा बयान कर ताकि रात