"ना अरि"
फिर चुप रह कर क्यों बने वो खुद की अरि ?
- अंजु गुप्ता
है लौट आया फिर से, बीता वक़्त यारो !
वो पहले भी थे अंजान,
अब फिर से अजनबी हैं !!
- अंजु गुप्ता
बस एक दिवस ही न हो सम्मान
नारी है देश का अभिमान
- अंजु गुप्ता
ऐ काश !
ये वक़्त ठहर जाता
और ठहर जाता,
हम – दोनों में
वो बीता हुआ इश्क़ !!
- अंजु गुप्ता
ज़ख्म दिलों के,,,
यूँ तो दिखते नहीं हैं !
मगर कैसे सोचा… कि दुखते नहीं हैं !!
— अंजु गुप्ता
फर्क है…
तेरे और मेरे समर्पण में !
मैं तुझको और तू मेरी देह को
समर्पित है ! !
— अंजु गुप्ता
प्रकृति ईश्वर का सुंदरतम उपहार है
- अंजु गुप्ता
क्या शुभकामना दूँ तुझको
तुम खुद शुभकामना हो
अंजु गुप्ता
सुबह से शाम तक काम,
पर फिर भी सब अतृप्त,
चाहिए सबको ...
एक और अतिरिक्त दिन
- अंजु गुप्ता