सच की अर्थी ढ़ो रहा, ले कांधे पर भार।
पहुंचाने शमशान भी, मिला न कोई यार।।
धरम सिखाये शुद्धता,
धरम सिखाये शील.
मर्यादा यह धरम की,
कभी न देना ढ़ील.
कुलवंत सिंह
अणु अणु ने धारण किया,
विधि का परम विधान.
जो मानस धारण करे,
हो जाये भगवान.
कुलवंत सिंह
शुद्ध धरम बस एक है,
धारण कर ले कोय.
इस जीवन में फल मिले,
आगे सुखिया होय.
कुलवंत सिंह
सच की अर्थी ढ़ो रहा,
ले कांधे पर भार.
पहुंचाने शमशान भी,
मिला न कोई यार.
कुलवंत सिंह
छल कपट लूट झूठ सब,
चलता जीवन संग.
सच पर अब जो भी चले,
लगे दिखाता रंग.
कुलवंत सिंह
मैं मैं मरता मर मिटा,
मिट्टी मटियामेट.
मिट्टी में मिट्टी मिली,
मद माया मलमेट.
कुलवंत सिंह
मर्याद को राखकर
बेच मान अभिमान.
कलयुग का है आदमी,
धन का बस गुणगान.
कुलवंत सिंह
रावण रावण जो दिखे,
राम करे संहार.
रावण घूमें राम बन,
कलयुग बंटाधार.
कुलवंत सिंह