I'm Reema and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsचलते चलते ऐतिहास बनते जाते हैं, पर मंज़िल तो वही हैं| रास्ते ज़रूर अनजान हैं, पर साथ चलने वाले मुसाफ़िर नहीं||
हमने तो बेरंग और बदनाम रिश्तों को भी बदलते देखा हैं, तो अपने कैसे ना बदलते। जिनसे कुछ ना लेना था वो धोखा दे गए, और जिनमें दुनिया थी वो क़िस्सा ले गए||