कुछ तो था हमारा रिश्ता भी ,
वरना आधी रात को कोई यूँ ही तो नहीं जागता||
चलते चलते ऐतिहास बनते जाते हैं,
पर मंज़िल तो वही हैं|
रास्ते ज़रूर अनजान हैं,
पर साथ चलने वाले मुसाफ़िर नहीं||
हमने तो बेरंग और बदनाम रिश्तों को भी बदलते देखा हैं,
तो अपने कैसे ना बदलते।
जिनसे कुछ ना लेना था वो धोखा दे गए,
और जिनमें दुनिया थी वो क़िस्सा ले गए||
There will come a time when you believe everything is finished.
Yes! That will be the beginning :)
Set a Goal!
If you’ve something to wake-up to in the morning it will be much easier to wake up. :)