भ्रांतियां दृष्टिकोण को धूमिल कर देती हैं ।
निरुपमा मिश्रा 'नीरू'
दृष्टिकोण दोषरहित होता है तो दृष्टि निष्पाप हो ही जाती है ।
निरुपमा मिश्रा 'नीरू'
एक शांत मुस्कान के पीछे ताकत और दृढ़संकल्प होते हैं जो दूसरों को भी आश्चर्यचकित कर सकते हैं ।
निरुपमा मिश्रा 'नीरू'