डाल दी आदत परिंदों को कफ़स में वापसी की
अब जो रखा है खोल के कफ़स तो ये मेहरबानी क्या है
--- प्रकाश लखनवी
होना है जब गुनाहों का फैसला ऊपर ही
तो फिर ये सज़ा-ए-ज़िंदगानी क्या है
--- प्रकाश लखनवी
ख़ुश्क़ आँखों से किया खुद को खुद से जुदा
फिर तेरे बिछड़ने पे ये आँखों में पानी क्या है
---प्रकाश लखनवी
माँ तस्दीक़ है उसके होने की
ख़ुदा होने की और निशानी क्या है
--- प्रकाश लखनवीं