मैं ओर फिर मोहब्बत में नहीं मरता,
गर वोह आँख भर कर नहीं देखता
उसे बड़ा घर चाहिए ओर मुझे उसके दिल मे ,
मैं अपना सब कुछ लुटा देता गर वो राब्ता करता
यूँ तो उसकी बात का बुरा नहीं मानता मैं,
मैं सबकुछ भुला देता गर वोह आवाज़ देता
अब मेरे नाम से भी नफरत करता है
एक ये दिल है जो इस बात को नहीं मानता