I'm Girish and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsऐ मेहज़बीं मैं नहीं जानता कि ग़र तेरा साथ ना मिलता तो क्या होती ज़िंदगानी हमारी ! गर्द ना होती, आवाज़ ना होती और शायद ना होती कोई निशानी हमारी !! - "साहिल"
ऐ मेहज़बीं मैं नहीं जानता कि ग़र तेरा साथ ना मिलता तो क्या होती ज़िंदगानी हमारी ! गर्द ना होती, आवाज़ ना होती और शायद ना होती कोई निशानी हमारी !! - "साहिल"
आप जो हमारी ज़िंदगी में आये, तो ज़िंदगी ग़ुल से गुलिस्ताँ हो गई ! ख़्वाइश थीं इक ग़ुलाब की, ख़ुदा के मेहर से हमारी ज़िंदगी बाग़बाँ हो गई !! - "साहिल"
आप जो हमारी ज़िंदगी में आये, तो ज़िंदगी ग़ुल से गुलिस्ताँ हो गई ! ख़्वाइश थीं इक ग़ुलाब की, ख़ुदा के मेहर से हमारी ज़िंदगी बाग़बाँ हो गई !! - "साहिल"
ना ग़ुल ना गुलिस्ताँ ना ग़ुलाब की हसरत की थीं ! सिर्फ तेरी शरबती आँखों मेँ ड़ूब जाने की ख़्वाइश की थी !! - "साहिल"