N S Mani Yaduvanshi
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सुनी सुनाई बातों पर क्या यकीन करना यहां तो आंखों देखा भी हर बार सच नहीं होता कोई किसी को भूल जाता कुछ ही वक्त में तो कोई किसी की याद में है ज़िंदगी भर मरता। by. N S mani yaduvanshi शब्दांशी ✍️

जैसे आसमान अधूरा होता है चांद के बिना वैसे दिन अधूरा होता है तेरे दीदार के बिना कट तो जाता है सारा दिन तेरे ख्याल में मगर हर बात अधूरी रहती है तेरी बात के बिना।

ख्वाहिशें चाहे कितनी भी हों हर ख्वाहिश मुकम्मल हो जाए ये ज़रूरी तो नहीं हर जाती हैं ज़िंदगी में कुछ अधूरी बातें हर बात मुकम्मल हो जाए ये ज़रूरी तो नहीं। By. N S mani yaduvanshi ✍️

हैवानियत कितनी बढ़ती जा रही है अपने ही अपनों का कत्ल कर रहे हैं मोहब्ब्त का हो रहा नामों निशान ख़त्म नफ़रत के फूल दिलों में खिल रहे हैं इंसानियत कमज़ोर पड़ रही हैवानियत सिर उठाए घूमता है उम्मीदों पर टिकी दुनिया की उम्मीद ही कत्लकर्ता हैं

सबसे दर्दनाक सज़ा है किसी अपने की ख़ामोशी जो ना जीने देती है और ना मरने देती है रहती है जाने कैसे बेचैनी ना हंसने देती है और ना रोने देती है किसी का गुस्सा तो सह जाता है इन्सान पर ये ख़ामोशी सुकून से रहने नहीं देती है।

एक सुकून सा मिलता है मां के पास होने से एक सुकून सा होता है मां के होठों पर मुस्कान होने से यूं तो दुनिया में बहुत कुछ है खूबसूरत सा मगर मां के प्यार से खूबसूरत नहीं कुछ भी इस दुनिया में और ना कुछ दिखता है गर हो एहसास मां के पास होने से 🥰🥰🥰🥰

कुछ कहानियां अक्सर आँखें नम कर देती हैं मुस्कुराना तो दूर हो ही जाता है साथ ही जीने की चाहत भी कम कर देती हैं।

खुद की तलाश में निकल चुकी हूं खुद को पा लिया है मैंने अब सिर्फ खुद का साथ देना है आना जाना तो दुनिया का दस्तूर है बस खुद से ही अपनापन भरपूर है


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