Dr Jogender Singh(jogi)
Literary Colonel
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सरल /स्पष्ट हूं।

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गुज़र गया वो भी, यह भी गुजर जाएगा !! यह ज़माना तेरा रहा अब तक, कभी मेरा भी ज़माना आयेगा !!

हज़ार कसमें खाई थी न मिलने की तुझसे!! देख कर तुझे, पर दिल बागी हो गया !!

बहुत दूर बहा था , साथ तेरे, मैं डूबने से पहले !!

पीना भी छूट गया ,तुझसे मिलने के बाद!! ग़मजदा होने का , अब कोई बहाना न रहा!!

यह तहज़ीब थी मेरी , मैं रोया नहीं , महफ़िल में । यूँ जुदा होने का ग़म , “जोगी” को , कम न था ।

मैं भी देता रहा ,देर तक दिलासा दूर से । वो रोती रही , सिर रख ,कन्धे पर किसी और के ।

अब अजनबी तुम्हे , मैं कह दूँ कैसे?? रोज देखता हूँ , छुप कर पर्दे के पीछे !!

एक हौसला क़ायम है !! है , इक भरोसा क़ायम !! तू मुझसे , रूठ सकता नहीं !!

गुजर गयी ज़िन्दगी ,सोचते / सोचते // कल कर दूँगा , इज़हार मोहब्बत का !!


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