हिन्दी के रंग में रंग कर
हमें जन-जन को बताना है
हिन्दी है भारत का गौरव
इसे विश्व में सम्मान दिलाना है
मैंने अपने दिल के मंदिर में
तुम्हारी तस्वीर लगा रखी है
तुम मुझे चाहो या ना चाहो
हमने आखिरी दम तक उम्मीद लगा रखी है
कर्म ही हमारे व्यक्तित्व को महान बनाते हैं जाति पाती का रास्ता फिर हम क्यों अपनाते हैं
आज फिर वो गुजरा जमाना
मुझे फिर से याद आया है
यादों के झरोखे ने धीरे से
मुझे अपने प्यार से मिलाया है।।
आओ हम मिलकर एक
ऐसा चलन चलाएँ।
दिलों से मिटाएँ नफरत को
प्रेम का भाव मन में जगाएँ।।
जब तक रहूं मैं धरती पर
तेरा साथ मै पाऊं
ईश्वर से यही प्रार्थना
हर जन्म तेरी संगिनी बन जाऊं
जीवन जीने का असली मजा
छुट्टियों में आता है
हट जाती है मन की उदासियाँ
जीवन में खुशियों का रंगभर जाता है।।