बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
टूटा अनुशासन तो बिखर जायेंगे।
न भाए ये बात तो हमसे न रूठो
बस जा के ये बात किसी झाड़ू से पूछो!
***धीरजा शर्मा*****
तूने रोका था न बहते हुए पानी को !
आज विद्रोह पे उतरा है
जिधर चाहेगा...
जाएगा...
*** धीरजा शर्मा*
कभी बगैर छत, खुले आसमां तले
सोये हो क्या?
कभी बगैर रोटी ,खाली पेट पकड़
रोये हो क्या?
सपने हमेशा तुम्हारे ही देखेंगी
आंखे मेरी हैं, बेवफाई न करेंगी।
**** धीरजा शर्मा ***
जीवन आधार है ,सुख की बयार है
मेरा परिवार है ,ये मेरा परिवार है।
चॉकलेट मुझे पसंद नहीं
गुड़ डे मना लें?
क्यारी में बेहद खूबसूरत गुलाब खिला है
पर उस से ज़्यादा खूबसूरत नहीं है
जिस से मेरा मकां घर बना है।
भाई एक सुखद मनमोहक गाँव है
ज़िन्दगी की धूप में ठण्डी सी छांव है।
**धीरजा शर्मा****
तुम्हें देखते ही एक दम मैं हो जाती हूँ खुश
ग़म की बरसातों में, तुम्हीं तो हो मेरे इन्द्रधनुष !
**** धीरजा शर्मा****