Akash Bhloa
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तन के कपड़े भी फट जाते है, तब कहीं एक फसल लहलहाती है... और लोग कहते है किसान के जिस्म से पसीने की बदबू आती है. @ AKASH KUMAR BHOLA

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारे है कितने... भला कैसे कह दूँ कि #माँ अनपढ है मेरी.. @ AKASH KUMAR BHOLA

प्रार्थना और विश्वास दोनो अदृश्य है, परन्तु दोनो में इतनी ताकत है कि नामुमकिन को मुमकिन बना देता है!... @ AKASH KUMAR BHOLA

रिस्क हमेशा बड़ा लो जीत गए तो विजेता बनोगे और हर गए तो सलाहका @ AKASH KUMAR BHOLA

# एक पिता अपनी मौत से नही डरता बल्कि इससे डरता हैं कि उसके न रहने पर उसके बच्चों का क्या होगा @ आकाश कुमार भोल

तन के कपड़े भी फट जाते है, तब कहीं एक फसल लहलहाती है... और लोग कहते है किसान के जिस्म से पसीने की बदबू आती है... © Akash Kumar Bhola

छोड़ दिया वतन रोटी की तलाश में घर अपना बहुत याद आया किराये के मकान में © Akash Kumar Bhola

पेशानी पर पसीना देखकर मैं कांप जाता हूं.... . . मेरी मां बैठकर चूल्हे पर जब रोटी बनाती है..!! © Akash Kumar Bhola

अब IAS बनना मज़बूरी बन गया है मेरा क्योंकि भगवान बनने का ख्वाहिश है मेरा पर वो भगवान नहीं जिन्होंने सृष्टि रचा है बल्कि वो जो भूखे को पेट भर रोटी दे सके बल्कि वो जो किसी को भी सहारा दे सके बल्कि वो जो देश के कुछ काम आ सके ।। © Akash Kumar Bhola


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