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Share with friendsतन के कपड़े भी फट जाते है, तब कहीं एक फसल लहलहाती है... और लोग कहते है किसान के जिस्म से पसीने की बदबू आती है. @ AKASH KUMAR BHOLA
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारे है कितने... भला कैसे कह दूँ कि #माँ अनपढ है मेरी.. @ AKASH KUMAR BHOLA
प्रार्थना और विश्वास दोनो अदृश्य है, परन्तु दोनो में इतनी ताकत है कि नामुमकिन को मुमकिन बना देता है!... @ AKASH KUMAR BHOLA
# एक पिता अपनी मौत से नही डरता बल्कि इससे डरता हैं कि उसके न रहने पर उसके बच्चों का क्या होगा @ आकाश कुमार भोल
तन के कपड़े भी फट जाते है, तब कहीं एक फसल लहलहाती है... और लोग कहते है किसान के जिस्म से पसीने की बदबू आती है... © Akash Kumar Bhola
पेशानी पर पसीना देखकर मैं कांप जाता हूं.... . . मेरी मां बैठकर चूल्हे पर जब रोटी बनाती है..!! © Akash Kumar Bhola