मैं, मैंने, मेरा, मुझे , यह वो शब्द हैं जो किसी को भी बरबाद करने के लिए काफी होते हैं,,,फिर चाहे वो राष्ट्र ही क्यों न हो।।।
चाए और जिन्दगी दोनों एक जैसे ही हैं जब मजा आने लगता है तो खत्म होने लगते हैं।
सवाल जिन्दगी का हो या गणित का,
अनसुलझा रहे तो दर्द ही देता है।
गरम की हुई चाए और समझौता किया रिश्ता दोनों में पहली जैसी बात नहीं रहती
कमाल है कि दर्द की वजह भी तुम और दवा भी तुम
कुछ अधूरी ख्वाहिशें और जिन्दगी दोनों साथ साथ चलतें हैं।
एक गुलाब मां को भी, दुआयें मिलेंगी।