मैं एक अध्यापिका हूँ, एक माँ हूँ.. लिखना मेरा शौक नही जुनून है
Share with friendsशमशान नही है मृतको का घर वो तो है हर इंसान की आखिरी मंजिल सबको एक दिन उस मंजिल तक जाना है करके अंत एक जीवन का नवजीवन पाना है।
व्यस्त हो चुके है हम इस कद्र अपनी जिंदगी मे कि रिश्तो के लिए हो हमारे पास वक़्त नही खो देते है जब हम इन रिश्तो को तब पता चलता है जब तक जो चीज पास हो होती उसकी कद्र नही ।
किसी के घर जाओ तो निगाह बस इतनी खुली रखो कि आपको उनके सत्कार के सिवा कुछ ना दिखे । और वहाँ से आकर जुबान बस इतनी खुली रखो कि उनकी आवभगत की बात हो उनकी कमियों की नही । 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अजन्मी बेटी करे पुकार मुझको भी जीने का अधिकार! मैं भी बन सकती बाबा तेरा सहारा यूँ माँ के गर्भ मे मुझे ना मार!
हर एक की हैं अपनी परेशानियाँ किसकी जिंदगी यहाँ आसान है . फिर भी जीना है मुझको जिंदादिली से इसलिए मेरे होठों पर हर वक़्त मुस्कान है .