Shelly Gupta
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2019 - NOMINEE

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मैं संगम हूं - नई और पुरानी धाराओं की इतनी नई कि प्रगतिशील सोच अपना सकूं इतनी पुरानी कि पुराने संस्कार निभा सकूं।

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जो मज़ा बचपन में माता पिता के साथ ज़िद करके सिनेमा देखने में आता था, वो अब मल्टीप्लेक्स ने भी नहीं आता।

आदत सी हो गई अब मुझे तुम्हारी तुम नहीं तो तुम्हारी तस्वीर ही सही

डर एक धीमा जहर है जो धीरे धीरे हर रोज़ मारता है।

आएं मनाए एक नया कैंसर दिवस जिस दिन लड़े हम कुरीतियों के कैंसर से

अगर जितनी है जंग इस महामारी से तो हर दिन को कैंसर डे समझ जागरूक होना होगा

मां के दुलार सा है funday Sunday तो पिता के अनुशासन सा है प्रिय Monday।

आज के ज़माने में सच बोलना भी बड़ा खौफ़नाक है।

Care for those who care for you Otherwise a day come when they will not be there for you.


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