Sarita Tripathi
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फूल ने फूल बनकर ग़ज़ब कर दिया अप्रैल में खिलकर अजब कर दिया सरिता त्रिपाठी

हम भरोसा है करते इंसान पर क्या रखा उसके पहचान पर रूप में है नहीं नक्स में है नहीं जीत होती है बस ईमान पर सरिता त्रिपाठी

दोस्त हो एक ही पर दोस्ती रहे दिल मे न नफरत की कश्ती रहे आबाद उसकी सदा ही बस्ती रहे जिन्दगी भर दोस्तों की हस्ती रहे सरिता त्रिपाठी

रात बिखरी यहाँ, चाँद है डाल पर चाँदनी है खिली, आज फिर ताल पर सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश

है जिंदगी खूबसूरत, खिली हुई जो गुल कली आज नहीं तो कल, सूखेगी पंखुड़ी सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश

ठंड से ठिठुर रहे हम यहाँ वो कुल्फी का देखो लुफ्त उठा रहे सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश

रात बीत गयी, हो भोर गया श्याम के संग, घड़ी का, पता का न चला सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश

ठंढ की सुहानी दस्तक दिल को लुभा रही है सूरज की किरणों को पास बुला रही है सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश

दिल की धड़कन बढ़ी की बढ़ी रह गयी याद उनको ज़रा सा किया मैंने था सरिता त्रिपाठी लखनऊ, उत्तर प्रदेश


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