मैं, रश्मि सिन्हा, फेसबुक पर 7 वर्षों से लेखन में सक्रिय, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कविता कहानी प्रकाशित, सांझा संग्रह और अपनी एक किताब, लघु से दीर्घ तक, अभी फेसबुक पर ही एक छोटे से समूह उद्गार और सरगम के संचालन में व्यस्त। अपना यूट्यूब चैनल भी Rashmi sinha kadam dar kadam के नाम से लिंक... Read more
Share with friendsअरमानों का क्या है, ये तो उड़ते परिंदे हैं, पंख फड़फड़ाते ही रहते हैं, हकीकत से जब होता है सामना, सांझ ढले, फिर पिंजरे में लौट आते हैं। रश्मि सिन्हा
घने काले बादलों के बीच चमकती बिजली भी, निराशा के अंधकार में गोता खा रहे, लोगों को यही संदेश देती है कि अंधकार में भी प्रकाश है। रश्मि सिन्हा
न थी उन बेड़ियों की खनक, घुँघरुओं से कम, और न ही थे ये बंधन, संगीत से कमतर, क्योंकि ये बेड़ियां थी रिश्तों की, और बंधन थे भावनाओं के। रश्मि सिन्हा