उबल रहा अब रक्त देश का , निकला ताप अंगारों से
उद्घोष अब मैं लिखता हूँ मेरे प्यारे देश , मैं नई क्रान्ति लिखता हूँ | उद्घोष अब मैं लिखता हूँ मेरे प्यारे देश , मैं नई क्रान्ति लिखता हूँ |
उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी देना चाहता हूँ ,जो ... उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी...