Emotional and practical writer . Storymirror द्वारा Author of the Week का पुरस्कार
Share with friendsख्वाहिशों की तलाश में सुकून खो बैठे, पूरी हुई ना ख्वाइश ना ही मिला सुकून। पता भी ना चला कब कारवां ए जिंदगी, कब्रगाह पर दस्तक देने पहुंचा ।
दिल पर दे कर दस्तक, उन्होंने पूछा, है अंदर कोई ? आई दिल के अंदर से आवाज, बैठकर अंदर अकेली तुम, ओर जाकर बाहर बार बार, मस्ती भरी दस्तक की शरारत छोड़ दो। अगर हो न विश्वास तो, दिल की तलाशी भी कर के देख लो ।
हमने तो परिंदो को खुली हवा में बेपरवाह, मस्त उड़ते-उड़ते, मंजिलों पर पहुंचते देखा है, तो फिर हम इंसानों के लिए ही कटीली पथरीली राहों पर चल कर मंजिलें पाने की बंदिश क्यों...
हर पल जो थामे मेरा हाथ, अवगुणों से करे सदा सावधान, जिसके चरणों में हो हर पल ध्यान, उस सचिदानंद सदगुरु साईं नाथ को बारंबार प्रणाम।