बिल्कुल बेपरवाह.... होकर चला करती थी तुम मेरे यकीन पर... अब तुम्हारे चलने का अंदाज़ कुछ संभल गया है , बताओ न क्या हम दोनों के बीच कुछ बदल गया है
उसे खुद के सामने खुद के सर पर हाथ रख कर खुद से , खुद की झूठी कसम खाई थी और फिर वो मर गया , सच्ची तेरी कसम - ये बात बचपन में मेरी नानी ने मुझे बताई थी
बिल्कुल बेपरवाह.... होकर चला करती थी तुम मेरे यकीन पर... अब तुम्हारे चलने का अंदाज़ कुछ संभल गया है , बताओ न क्या हम दोनों के बीच कुछ बदल गया है
उसे खुद के सामने खुद के सर पर हाथ रख कर खुद से , खुद की झूठी कसम खाई थी और फिर वो मर गया , सच्ची तेरी कसम - ये बात बचपन में मेरी नानी ने मुझे बताई थी
कुछ लोगो को ख़ुदा खुद जीतने नहीं देता कभी कभी के वो जानता है , की ग़र ये जीते तो क़यामत आ जाएगी - अभी