Script Writer ✍️|Biker|Poet| थोड़ी ग़ालिब की खाली बोतल से ली, कुछ गुलज़ार के ग्लास से डाली,प्यास तो खुद की थी ही, हमने अपनी ज़िंदगी शराब बना डाली
Share with friendsबिल्कुल बेपरवाह.... होकर चला करती थी तुम मेरे यकीन पर... अब तुम्हारे चलने का अंदाज़ कुछ संभल गया है , बताओ न क्या हम दोनों के बीच कुछ बदल गया है
उसे खुद के सामने खुद के सर पर हाथ रख कर खुद से , खुद की झूठी कसम खाई थी और फिर वो मर गया , सच्ची तेरी कसम - ये बात बचपन में मेरी नानी ने मुझे बताई थी
बिल्कुल बेपरवाह.... होकर चला करती थी तुम मेरे यकीन पर... अब तुम्हारे चलने का अंदाज़ कुछ संभल गया है , बताओ न क्या हम दोनों के बीच कुछ बदल गया है
उसे खुद के सामने खुद के सर पर हाथ रख कर खुद से , खुद की झूठी कसम खाई थी और फिर वो मर गया , सच्ची तेरी कसम - ये बात बचपन में मेरी नानी ने मुझे बताई थी
कुछ लोगो को ख़ुदा खुद जीतने नहीं देता कभी कभी के वो जानता है , की ग़र ये जीते तो क़यामत आ जाएगी - अभी