Pooja Agrawal
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इतनी शिद्दत है मोहब्बत में, कितनी कुर्बत है इन फासलों में, इतना सुकून है तन्हाइयों में, कितने अल्फाज है खामोशियों में, इतनी जुस्तजूतो को खुदा की की होती, तो वह भी आज हमारे पास होता। Pooja

खुश हूं तुम मिले हो हमसफर , मेरी खामोशियों को अल्फाज मिल गए, मेरी नींदों को ख्वाब मिल गए , मिल गई मेरी रूह को जिंदगी, और मेरी तनहाइयों को तुम्हारा साथ Pooja

वो पहली सी कुरबत मेरे महबूब न मांग, वो दिल ही नही रहा ,जहां तुझे रखा था कभी। वो पहली सी वफ़ाएँ मेरे सितमगर ना मांग, वो बेवफाई की कब्र में दफन हैं कहीं। वो मेरे अक्स को ढूंढता है आईना मेरा, वो जो संवारा था तेरे लिये, कई बार मैंने। Pooja

खुद को ढूंढती हूं मैं , जो निहाल थी तेरी कुरबत के लिए, अब यह दूरियां अपनी लगती है मुझे, टूट के मोहब्बत करके तुझसे, बिखर गया आशियां मेरा। Pooja

इतनी मोहब्बत करली तुझसे जालिम, तेरी बेवफाई पर भी यकीन नहीं होता । कम से कम उस यकीन को पुख्ता कर दे, तू तसव्वुर से निकल कर सामने आजा। Pooja

वह खत जो लिखे थे तुझे जब भी , दर्द में लिपटे हुए जज्बात पिघलते थे कागज पर, तो सारी कायनात में मेरी उल्फत की खुशबू फैल जाती थी। Pooja

क्या करें जज्बात हमारे, यूं ही बयां हो जाते हैं। हम कुछ कहते नहीं किसी से, फिर भी हम रुसवा हो जाते हैं। Pooja

अगवा तेरे खयालों ने किया इस कदर, फिरौती देना भी मंजूर नहीं दिल को। Pooja

दिल को तेरी बेवफाई का यकीन कैसे कराऊँ, अगर दिल मेरा होता तो शायद मान जाता Pooja


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