Weaver of Words Astrophile Selenophile Dendrophile Musings of My Muse...
वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमें दर्द ना हो मुस्कुरा कर तो लम्हे गुजरते है
पूछते हैं वो... की मेरा परिचय क्या है... मैंने कहा... पढते रहिए हो जाएगा... PraGun
शायद चांद उस दिन बेवफा निकाला जो खिड़की से तस्वीर चुरा बैठा झोंका हो तुम ठंडी हवा का एक ना जाने कैसे उस झरोखे से देख बैठा
बेरंग सी खामोशी को भेजा है रंगबिरंगे से लिफाफे में लपेटकर दुनिया के शोर में क्या तुम मुझे सुन पाओगे