अनूप अंबर
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मैं अनूप अंबर मैं कविता लिखना और पढ़ना ही बेहद पसंद है, अभी तक मेरे लगभग 9 साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।। और कई पत्र पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित हो चुकी है, अभी तक 200 से अधिक सम्मान पत्र प्राप्त हो चुके है, मैं कई साहित्य मंचों से साहित्य पाठ करता रहता हूं।। मेरे पूज्य कवि श्री शिव... Read more

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गैरों की बाहों में क्या, तुझे सच में करार आता है, सच सच बता क्या तुझको, कभी मेरा प्यार याद आता है, जिक्र जब कोई करता है मुहब्बत का, मुझको सनम तब तेरा ख्याल आता है,

गिरे तो कभी सम्हलते रहे, मुश्किल समय में हंसते रहे, लोग हमे आजमाते रहे हम खुद को साबित करते रहे

कितने अरमान थे मुझको, तुम से दिल लगाने के । क्यूं दर्द दे रहे है अब, ये गम सारे जमाने के ।।

मुझे भाता नही कोई तेरे नाम वाला शख्स । तेरी सूरत भी पा ले तो गले से लगा लूंगा ।।

इंसान नया मुकाम बनाता जा रहा है प्रगति पथ पर निरंतर चलता जा रहा है,

ये कदम बढ़ते रहे संकल्प मन में करते रहे हम बदलेंगे,ये जमाना प्रगति का दम भरते रहे,

अंधेरे से भला डर कैसा जब हाथ में चिराग है सूरज छुप जाता बादलों में कभी छुपता नही प्रकाश है

उस उदास चहेरे पर फिर मुस्कान आ जाए उसका चांद सा हमदम जो उसके पास आ जाए

आज उदास चांद है जाने क्या बात है पूनम तो है जा चुकी अब आई अमावस रात है


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