दिल मे उनके ख़ैरियत से जुड़े काफ़ी सवाल है, रात दिन मन में बस उन्ही का ख़याल है, न कुछ ख़बर आई न कोई पैग़ाम, अरसा हो गया उनसे पूछे, क्या हाल है ??
ख़ुमार-ए-इश्क़ में गर बहक जाऊ मैं, सिमटकर मेरी बाहों में आ जाना, ये आंखों से छलकता प्यार है, किसी और के लिए न दिखाना ।।
साँसों का क्या है वो तो तुम्हारे बिना भी चलती है , बात तो दिल की है हज़ार बार टूटने पर भी तुम्हारे लिए ही धड़कता है ।।
तेरे लिए दुआ मांगी है हमने, हाथों की लकीरें उतरकर आ जाये सामने, उन लकीरों में बस मेरी ही तस्वीर हो, मेरे नाम से ही जुड़ी तुम्हारी तक़दीर हो ।।
बारिश की बूंदों की तरह छलकती है, सूरज की किरनों सी चमकती है, हवाएं संग लहराती है, ये यादें है जनाब, दिल का चैन-ए-सुकून ले जाती है ।।
जीना आसान हुआ, जबसे नजरें तुमसे मिली है, और प्यार इस कदर हुआ, की ये आंखे बस तुम्हारा दीदार मांगती है ।।