Fahima Farooqui
Literary Colonel
113
Posts
2
Followers
1
Following

कोई तो अहल-ए-दिल कोई तो अहल-ए-नज़र होता। किसी की दुआओं में जीते किसी के दिल में तो बसर होता। ///////////////-----////////////------//////////// दिल के जज़्बात को लफ़्ज़ों में पिरोने का शौक़ है..!!

Share with friends

याद है तुमको तुमने कहा था तुम्हें कभी भूलेंगे नही, ख़ैर छोड़ो जब मुझे ही भूल गए तो बातों का क्या।

तुम चले गए तो खुशियाँ चली गई सारी। कटती ही नही तन्हा शाम हमसे ये भारी। फ़हिमा फ़ारूक़ी

रूठने वाले मान जा अब तू। रूठ के दिल को ना जला अब तू। फ़हिमा फ़ारूक़ी

दिन भर का महसूल तेरी इक मुस्कान है। जिससे थके जिस्म में आ जाती जान है। फ़हिमा

जितना सुलझाऊँ उतना उलझती ज़िन्दगी। ख़्वाहिशों की आग में झुलसती ज़िन्दगी। फ़हिमा फ़ारूक़ी

धीरे धीरे बातों को फ़ुरसत हो रही है। तेरे बग़ैर जीने की आदत हो रही है। फ़हिमा

होगी कभी तो फ़ुरसत हमें भी, हम भी कभी ज़िंदगी जिएंगे। फ़हिमा

सूखे किनारे की गहराई में नमी होती है। एक चीख़ ख़ामोशी में भी दबी होती है। फ़हिमा

जब ज़िक्र मोहब्बत का होता है तुम याद आते हो. पता है कुछ आदते कभी नही बदलतीं. फ़हिमा


Feed

Library

Write

Notification
Profile