I'm chitralekha and I love to read StoryMirror contents
Share with friendsजिंदगी तेरी, सपने तेरे , मंजिल तेरी , हार - जीत मेहनत सब कुछ तेरी है, फिर ये फालतू लोगों की बातें सुनकर हार जाना कौन सा नाटक है।
तू मूझे संभालता है ये तेरा उपकार है मेरे दाता वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी हस्ती कहाँ रोज गलती करता हूँ तू छुपाता है अपनी बरकत से मै मजबूर अपनी आदत से तू मशहूर अपनी रहमत से तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है।