जो लिखता हूँ जो पढ़ता, ह वही बस याद रहता है बस कागज कलम हीं है, जो मेरे पास रहता है भरोसा बस मुझे मेरी, इन चलती उँगलियों पर है ज़हन जो सोच लेता है, कलम वो छाप देता है
जो लिखता हूँ जो पढ़ता हूँ, वही बस याद रहता है बस कागज कलम हीं है, जो मेरे पास रहता है भरोसा बस मुझे मेरी, इन चलती उँगलियों पर है ज़हन जो सोच लेता है, कलम वो छाप देता है