उँगली पकड़ के चला था तू जिसकी
आज उसको भी तेरा सहारा चाहिये|
खुदा तेरी महफ़िल में , बदलती अपनी हस्ती देखी,
मैं, मैं न रहा डूबती अपनी कस्ती देखी।
लहरों पर चलना सीख ले "आनंद" हक़ीक़त -ए -दुनिया देखने का वक़्त आ गया है|
तेरी ख्वाहिशों में हमदम मेरा ज़िक्र ही नहीं है|