कर्म भाग्य के साथ हो, मिलता है अनुतोष|
कर्महीन ही भाग्य को, देते रहते दोष||
-ऋता शेखर 'मधु'
जीवन हमें आगे बढ़ने के कई मौके देती है।
जरूरत है सजगता, लगन और उत्साह की
लोभ मोह पद से परे, हो विनम्र व्यवहार।
सरल सहज मुस्कान से, जीत लें हृदय हार।।
@ऋता शेखर 'मधु'
द्वेष निराशा दूर हो, मिले जीत या हार|
मन के भीतर ही बसा, खुशियों का संसार||
@ ऋता शेखर 'मधु'
यानों से आकाश, वाहन से जल थल नपे।
कभी न कहते "काश", अटल इरादों के धनी।।
ईश्वर का उपहार, बदन -प्राण का मेल है।
मन जाता क्यों हार, दुख सुख तो बस खेल है।।
--ऋता शेखर 'मधु'