दोहा
मन से ,वचन से, करम से , जो है सत्य करीब।
प्रभु कृपा बरसे तुरंत, खुल जाये बंद नसीब।
दोहा
धन को ऐसे जानियो, ज्यों चूल्हे की राख।
कर्म जाये परलोक संग ,तन धन हो जाय खाक।
दोहा
मानव या संसार में, सबसे रखो बनाय।
ना जाने कब कौन कहाँ, तेरे काम आ जाय।
तेरे दिए जख्मों को हम गिन नहीं सकते
सदायें अपने दीवाने की तुम सुन नहीं सकते।
मैं एक फूल हूँ टुटा हुआ गुंचा ऐ चमन का
दिल के हार में इसे तुम बन नहीं सकते।
एक मुस्कान लाखों ग़मों को मार देती है।
एक मुस्कान गैर को भी अपना बना देती है।
एक मुस्कान दिल की हर बीमारी की दवा है।
एक मुस्कान में टूटे सपनों टूटे दिलों को जोड़ने की शिफा है।